tag:blogger.com,1999:blog-5213820224673627834.post2446694612390666422..comments2023-10-08T21:57:54.252+05:30Comments on प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ: ब्लोगिंग का दम घोटू वातावरण फिर से प्यार मोहम्ब्बत की खुशबु से महका दो .प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघhttp://www.blogger.com/profile/18399101354438844595noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5213820224673627834.post-57889642326622137432011-04-20T14:31:07.289+05:302011-04-20T14:31:07.289+05:30मैं देवेन्द्र जी से सहमत हूँ, जिन्हें सुर्ख़ियों मे...मैं देवेन्द्र जी से सहमत हूँ, जिन्हें सुर्ख़ियों में आना है वे कुछ न कुछ ऐसा ही रचेंगे. ये तो हमारी बुद्धिमत्ता है की हम किस दिशा में जाएँ. हमें इससे तटस्थ रहना है तो फिर कोई हमें दुबारा उस ओर खींच ही नहीं सकता है. ये धर्म की लड़ाई इंसान की छोटी सोच की निशानी है. अगर हम एक अच्छे मानव न बन सके तो किसी भी धर्म के हों हम इस काबिल नहीं की खुद को अनुकरणीय साबित कर सकें. हर ब्लॉगर को सिर्फ खुद को एक रचनाकार, एक सजग नागरिक और एक अच्छे मानवबनने की दिशा में चलना है फिर देखिये हम कितने सारे होंगे और विखंडन की प्रवृत्ति अपने आप ही दम तोड़ देगी.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5213820224673627834.post-17270251437544377802011-04-20T00:32:15.934+05:302011-04-20T00:32:15.934+05:30अख्तर भाई, आपकी चिंता जायज है। कुछ विघ्नसंतोषी प्र...अख्तर भाई, आपकी चिंता जायज है। कुछ विघ्नसंतोषी प्राणी हैं जो अमन चैन कायम रहने नहीं देते। गुगल ने मुफ़्त की जगह दी है। तो उसका मनचाहा इस्तेमाल हो रहा है। अगर गुगल साल के 2000 रुपए लेने लगे तो सभी पर विराम लग जाएगा।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5213820224673627834.post-90734139199096514662011-04-19T22:03:19.099+05:302011-04-19T22:03:19.099+05:30devendar bhai bahut bahut shukriyaa .... akhtar kh...devendar bhai bahut bahut shukriyaa .... akhtar khan akela kota rajsthanआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5213820224673627834.post-22533341593082462012011-04-19T21:30:05.800+05:302011-04-19T21:30:05.800+05:30भाई अख्तर खान अकेला साहब
आपकी चिंता सही है. कुछ लो...भाई अख्तर खान अकेला साहब<br />आपकी चिंता सही है. कुछ लोग माहौल बिगाड़ने में ही सुख का अनुभव करते हैं. इसके पीछे एक खास मनोविज्ञान काम करता है. क्रियेट कंत्रोवर्शी एंड बी बेस्टसेलर. इसे उटपटांग हरकतों से लोगों का ध्यान आकृष्ट करने का ओछा प्रयास कह सकते हैं. यह एक किस्म का मानसिक रोग है जिसका इलाज कोई मनोचिकिस्तक ही कर सकता है. कानूनी कार्रवाई भी इसपर ज़रूर कुछ लगाम लगा सकती है. हम आप यही कर सकते हैं कि उसपर कोई नोटिस ही न लें. उसकी योजना को विफल कर दें. आप देखिये दो दशक पहले जो शरारती तत्व एक झटके में कई शहरों का माहौल बिगड़ देते थे आज उन्हें कहीं कामयाबी नहीं मिल रही है. ऐसे तत्वों की उपेक्षा करना ही उचित होगा. <br />---देवेंद्र गौतमdevendra gautamhttps://www.blogger.com/profile/09034065399383315729noreply@blogger.com