लगेंगे हर बरस मेले ...............!
बुधवार, 23 मार्च 2011
आज देश के वर्तमान हालात में हम उसी से जूझने में लगे हुए हैं और फिर उसी से निकले मुद्दों पर कलम चला कर सोच रहे हैं कि हमने अपना धर्म पूरा कर लिया । हमारा धर्म शायद आज के दिन अधूरा रहेगा अगर हमने अपने अमर शहीदों को नमन न किया । आज के दिन १९३१ में अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर में फाँसी दी गयी थी।
इतिहास बदला नहीं करता है,
वे तारीखें जो लिखी हैं इसमें,
उनकी इबारत पत्थर पर लिखी है ,
औ' उस पत्थर पर हमारी
आज़ादी कि इमारत खड़ी है।
हम दुहराते हैं उन तारीखों को जरूर
जिन्हें इतिहास में मील के पत्थर भी कहा करते हैं,
घटनाएँ कुछ ऐसी घट जाती हैं,
जो तारीखों का वजन बढ़ा देती हैं।
इतिहास के पन्नों पर वे ही दिन
मजबूर कर देते हैं मानव और मानस को
फिर एक बार उस इबारत को दुहरा लें।
शहीद वही, शहादत वही, इतिहास भी वही,
लेकिन इस तारीख के जिक्र पर,
सर झुक ही जाता है इज्जत से
क्योंकि
हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को।
मजबूर कर देता है नमन करने को।
4 comments:
vaah kya abat khi he mubark ho . akhtar khan akela kota rajsthan
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत सच कहा है..शहीदों को नमन..
क्योंकि
हमारा जमीर इनको याद करते ही
मजबूर कर देता है नमन करने को।
ekdam sahi aur dil se aati hui baat...bahut achche.
एक टिप्पणी भेजें