ग़ज़लगंगा.dg: खता क्या है मेरी इतना बता दे
शुक्रवार, 30 मार्च 2012
खता क्या है मेरी इतना बता दे.
फिर इसके बाद जो चाहे सजा दे.
अगर जिन्दा हूं तो जीने दे मुझको
अगर मुर्दा हूं तो कांधा लगा दे.
हरेक जानिब है चट्टानों का घेरा
निकलने का कोई तो रास्ता दे.
न शोहरत चाहिए मुझको न दौलत
मेरा हासिल है क्या मुझको बता दे.
अब अपने दिल के दरवाज़े लगाकर
हमारे नाम की तख्ती हटा दे.
जरा आगे निकल आने दे मुझको
मेरी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दे.
ठिकाना चाहिए हमको भी गौतम
ज़मीं गर वो नहीं देता, खला दे.
ठिकाना चाहिए हमको भी गौतम
ज़मीं गर वो नहीं देता, खला दे.
ग़ज़लगंगा.dg: खता क्या है मेरी इतना बता दे:
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5 comments:
अगर जिन्दा हूं तो जीने दे मुझको
अगर मुर्दा हूं तो कांधा लगा दे.
बढ़िया ग़ज़ल भाईजान .
मैं ज़िंदा हूँ या मुर्दा ,मुझे इसकी खबर दे .
हृदय को स्पर्श करती हुई गजल निश्चित ही सराहनीय।
Behtareen Kavita...
अगर जिन्दा हूं तो जीने दे मुझको
अगर मुर्दा हूं तो कांधा लगा दे...Aadmi hone ke dard ka dardnak chitran.....Sadhuwad,Devendra Gautam Ji...
संजय कुमार शर्मा
http://sanjaypremgranth.blogspot.in/2012/03/blog-post_09.html
http://raj-madhumoti.blogspot.in/2011/08/blog-post_5880.html
"जश्न-ए-मौत"
२७॰०१॰२०१२
"देखो! आज ख़ुश हैं चिता मेरी जलाने वाले,
कल थे नाख़ुश,आज मिट्टी में मिलाने वाले।"
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By: Sanjay Kumar Sharma
अच्छी रचना...
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