कसम…..(सत्यम शिवम)
रविवार, 20 फ़रवरी 2011
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
हाथ में भविष्य तेरे,
मानवों के हित का।
मुख पे है जो दिव्य आभा,
जगती से तेरे जीत का,
बढ़ता ही चल उन राहों में,
जो राह स्वर्ग तक जाती है,
रोक ना तु अब पग इक पल यहाँ,
जो बंधन तुझे मिटना सिखाती है।
खो जा उसमें तब मिलेगी मँजिल,
अपने सुख दुख तु वार दे।
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
जो झुक गया,जो रुक गया,
इंसान वो सच्चा नहीं।
जिस राह में बस फूल बिछा,
वो राह कभी अच्छा नहीं।
काँटों पे चल,अग्नि में जल,
होता है तो हो जाने दे अब,
अपने जीवन के अवसान का पल।
हार गया तन जीवन में तो क्या,
आत्मा को विजय का हार दे।
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
प्रलोभन राहों में है मगर,
तेरी इच्छा तो अनंत की है।
थक कर ना सोना है तुझे,
तेरे तन ने आज ये कसम ली है।
भयमुक्त निडर सा चलना है,
तुझे आसमान की राहों पे,
अब ना किसी से डरना है,
दर्द से या अपनों के आहों से।
भूल जा बीती सारी असफलता,
अपनों को भी तु विसार दे।
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
माँ की ममता की दुहाई,
पत्नी के सिंदूर का कसम।
बहना के निंदिया का वास्ता,
कभी ना ले तु दम में दम।
आक्रोश अपना संचित कर उर में,
क्रोध ज्वार को कर ले तु शांत,
प्रबल वेग चतुराई से अपने,
सब को दे दे तु क्षण में मात।
उपेक्षाओं,आलोचनाओं से ना घबराना,
पी जा जहर अपमान का,
जो तुझे संसार दे।
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
दीप्त दीप्त जीत से संलीप्त,
मग्न मग्न कर्मों में संलग्न,
अवसर ना कोई गवाना,
हर पल तु बस चलते जाना।
सुदूर हो या पास हो,
मन में तेरे विश्वास हो,
इक लगन हो बस जीत की,
वैराग्य जगत से प्रीत की।
टल जाएँगे बाधाएँ पल में,
हर विघ्न बाधा को संहार दे।
आज है तुझको कसम,
कि जग को तु सँवार दे।
9 comments:
ki jag tu sawar de
bahut sunder
..
kya kabhi aisa ho payega....... Socha to accha hai
सार्थक चिंतन, काश ऐसा हो पाता !
इस रचना को क्या कहूं ?
बस इतना ही कह सकता हूँ सत्यम-शिवम्-सुन्दरम !
सार्थक चिंतन, बहुत भावपूर्ण रचना| धन्यवाद|
बहुत सार्थक सोच ..ओजस्वी रचना ...
मंजिल स्त्रीलिंग है --- मिलेगी मंजिल कर लें तो शायद बेहतर होगा ...थोड़ा सा वर्तनी की शुद्धता पर ध्यान दें तो रचना की गरिमा बढ़ जायेगी ...मात्र सलाह है ..
साथ की तस्वीर देख कर कुछ संवरने-सुधरने की कम ही उम्मीद होती है.
बहुत सुन्दर सार्थक चिंतन और ओजस्वी रचना !
बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का....
@संगीता जी ऐसे ही मार्गदर्शन करती रहे....अशुद्धि ठीक कर लिया मैने....आभार।
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