अरे भई साधो......: सपेरा बनते फिर सांप के बिल में हाथ डालते बाबा
बुधवार, 8 जून 2011
बाबा रामदेव की सभा में पुलिस ने जिस बर्बरता का तांडव किया वह हैवानियत का चरम प्रदर्शन था. यूपीए सरकार का अक्षम्य अपराध. लेकिन यह सच है कि एक योग गुरु से आन्दोलनकारी नेता के रूप में अपने व्यक्तित्व के रूपांतरण में बाबा चूक गए. पुलिस के दमन पर उतरने के बाद अपने हजारों समर्थकों को उनके हाल पर छोड़कर उनका आयोजन स्थल से भाग खड़े होना अपरिपक्वता का परिचायक था.
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