ग़ज़लगंगा.dg: क्या ढोते बेकार के रिश्ते.
गुरुवार, 9 जून 2011
तोड़ दिए संसार के रिश्ते. क्या ढोते बेकार के रिश्ते.स्वर्ग-नर्क के बीच मिलेंगे इस पापी संसार के रिश्ते.रोज तराजू में तुलते हैंबस्ती और बाज़ार के रिश्ते.खून के रिश्तों से भी ज्यादागहरे हैं व्यवहार के रिश्ते.धीरे-धीरे टूट रहे हैंआंगन से दीवार के रिश्ते.टूट गए अबके आंधी में कश्ती और पतवार के रिश्ते.सबकी आंखों में खटकेंगे हम दोनों के प्यार के रिश्ते.किस खूबी से निभा रहे हैंहम तलवार की धार के रिश्ते.दो मुल्कों में ठनी है लेकिनकायम हैं व्यापार के रिश्ते. ---देवेंद्र गौतम
1 comments:
बहुत सुन्दर गज़ल ..रिश्तों पर सटीक बात कही है
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