प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ. Blogger द्वारा संचालित.
प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जहां आपके प्रगतिशील विचारों को सामूहिक जनचेतना से सीधे जोड़ने हेतु हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं !



ग़ज़लगंगा.dg: इन्हीं सड़कों से रगबत थी......

रविवार, 17 जुलाई 2011

इन्हीं सड़कों से रगबत थी, इन्हीं गलियों में डेरा था.

यही वो शह्र है जिसमें कभी अपना बसेरा था.


सफ़र में हम जहां ठहरे तो पिछला वक़्त याद आया

यहां तारीकिये-शब है वहां रौशन शबेरा था.


वहां जलती मशालें भी कहां तक काम आ पातीं

जहां हरसू खमोशी थी, जहां हरसू अंधेरा था.


खजाने लुट गए यारो! तो अब आंखें खुलीं अपनी

जिसे हम पासबां समझे हकीकत में लुटेरा था.


कोई तो रंग हो ऐसा कि जेहनो-दिल पे छा जाये

इसी मकसद से मैंने सात रंगों को बिखेरा था.


अंधेरों के सफ़र का जिक्र भी मुझसे नहीं करना

जहां आंखें खुलीं अपनी वहीं समझो शबेरा था.


वो एक आंधी थी जिसने हमको दोराहे पे ला पटका

खता तेरी न मेरी थी ये सब किस्मत का फेरा था.


मैं अपने वक़्त से आगे निकल आता मगर गौतम

मेरे चारो तरफ गुजरे हुए लम्हों का घेरा था.


-----देवेंद्र गौतम

एक टिप्पणी भेजें

www.hamarivani.com

About This Blog

भारतीय ब्लॉग्स का संपूर्ण मंच

join india

Blog Mandli
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
apna blog

  © Blogger template The Professional Template II by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP