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अन्ना ने सरकारी जासूसी के सभी प्रयास निष्फल कर दिए है

रविवार, 4 सितंबर 2011


अन्ना ने सरकारी जासूसी के सभी प्रयास निष्फल कर दिए है अब सरकार अन्ना की जासूसी को लेकर पशोपेश में हैं ....सरकार ने घोषणा की थी की ख़ुफ़िया रिपोर्टों के आधार पर अन्ना की जान को खतरा है इसलियें उन्हें जेड सुरक्षा दी जान चाहिए अन्ना समर्थकों को डर था की अन्ना निति की हर बात अब यह सुरक्षा कर्मी सरकार तक पहुंचाते रहेंगे और सरकार वक्त से पेहले ही सतर्क होकर अन्ना की हर चाल को पूर्व सतरक्त्ता निति के तहत विफल कर देंगे ....पहला सवाल अन्ना से सिर्फ सरकार और सर्कार के कुछ मंत्री नाराज़ हैं जिनकी गिनती उँगलियों पर है फिर उनकी जानको खतरा इन लोगों के अलावा और किस से हो सकता है .ख़ुफ़िया एजेंसियों की रिपोर्ट अगर है तो वोह ऐसे प्रयास कर्ताओं का खुलासा जनता के सामने करे उन्हें पकड़ने का प्रयास करे दूर रहकर अन्ना की सुरक्षा करे लेकिन जासूसी मंज़ूर नहीं .........शायद इसीलियें अन्ना ने काफी सोच कर सरकार को जवाब दिया है के उन्हें सुरक्षा नहीं चाहिए वोह देश के लियें अगर मर भी जाएँ तो उन्हें चिंता नहीं है ...इस तरह से अन्ना ने सरकार के जासूसी फार्मूले की हवा निकाल दी है ...............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 comments:

Nilam-the-chimp 4 सितंबर 2011 को 3:40 pm बजे  

लानत है सरकार पर
सरकार कहती है, की अन्ना के आन्दोलन से दिल्ली की ट्राफिक व्यवस्था प्रभावित हुई.
यह भी कहा गया की रात को लाउड स्पीकर के प्रयोग की वजह से जनता को असुविधा हुई.
लेकिन ये सब लोग ये कैसे भूल गए की जिन दिनों आन्दोलन चल रह था पूरी दिल्ली में एक भी बलात्कार या हत्या की घटना नहीं हुई. देशभक्तो के जमावड़े के आगे अपराधी भी नतमस्तक हो गए थे, एक आम दिल्ली वाले से, पूछा जाना चाहिए की आये दिन होने वाले अपराधो से उसे ज्यादा समस्या है, या इस आजादी की दूसरी लड़ाई से?
क्या ये सरकार उन अपराधियों की नुमाइंदगी करने में लगी हुई है, जिन्हें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस आन्दोलन से परेशानी हुई, देश की बहुसंख्यक जनता के साथ साथ मै भी मानता हूँ की रामलीला मैदान के हुडदंगी भी सरकार द्वारा आन्दोलन को बदनाम करने की साजिश का ही हिस्सा थे.
सरकार अन्ना के इनकार के बाद भी सुरक्षा इंतजामो के नाम पर बीसियों पुलिसवालों को उनके पीछे लगा रही है ताकि अन्ना, अन्ना से मिलने वाले हर शक्स पर नजर रखी जा सके, वो जनता से दूर हो जाये, यहाँ ध्यान देने वाली बात यह हैं की जब बाबा रामदेव का आन्दोलन कुचला गया था तो भी षड्यंत्रकारी सरकार के द्वारा उनकी सुरक्षा का ही हवाला दिया गया था !
http://tatva-bodh.blogspot.com/

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