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अलग वजूद के लिए वेचैन...

सोमवार, 21 नवंबर 2011





दिनांक २०.११.२०११ को हिंदी ग़ज़ल के वर्तमान परिदृश्य को रेखांकित रवीन्द्र प्रभात,मुनौव्वर राणा और मधुर नजमी की वृहद् विवेचना जनसंदेश टाइम्स में आई है, जो साहित्यिक जगत में चर्चा का विषय बन गया है. हिंदी ग़ज़ल को लेकर नए सिरे से वहस शुरू हो गयी है. कुछ लोगों का मानना है कि प्रिंट की तुलना में अंतरजाल पर अच्छी-अच्छी गज़लें प्रस्तुत की जा रही है, वहीँ कुछ लोगों का मानना है कि अच्छी ग़ज़लों को प्रस्तुत करने के मामले में अंतरजाल अभी बहुत पीछे है.

अपने आलेख में रवीन्द्र प्रभात जी ने अलग वजूद के लिए वेचैन हिंदी ग़ज़ल की छटपटाहट को धारदार जुवान देने की कोशिश की है, वहीँ मुनौब्बर राणा ने स्वीकार किया है कि भविष्य में हिंदी शायरी की इज्जत बढ़ेगी. जबकि मधुर नजमी मानते हैं कि असरदार हिंदी की गज़लें हैं लेकिन जो सरदार हैं वे भी हैं राह भटके.

ग़ज़ल पर केन्द्रित इस पृष्ठ पर अच्छी ग़ज़लों को प्रस्तुत करने वाले कुछ महत्वपूर्ण ब्लॉग्स की चर्चा भी की गयी है. इसे ग़ज़ल विधा को हिंदी में प्रतिष्ठापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा सकती है.

7 comments:

Minakshi Pant 21 नवंबर 2011 को 4:35 pm बजे  

सुनकर बहुत खुशी हुई बहुत - बहुत बधाई |

मनोज पाण्डेय 21 नवंबर 2011 को 5:42 pm बजे  

रवीन्द्र जी वहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं . कभी कुशल ब्लॉग विश्लेषक की भूमिका में होते हैं तो कभी गज़लकार और व्यंग्यकार के रूप में, कभी चौबे जी की चौपाल लगा लेते हैं तो कभी हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहासकार के रूप में सामने आ जाते हैं. इस वर्ष उनका एक और रूप सामने आया वह था उपन्यासकार के रूप में सामने आना और अपने पहले उपन्यास से ही चर्चा में आ जाना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है. ब्लॉग विश्लेषण के लिए जहां उन्हें वर्ष २००९ में संवाद सम्मान से सम्मानित किया गया था वहीँ सृजनगाथा के द्वारा जारी वक्तव्य से यह मालूम हुआ है कि उन्हें आगामी १७ दिसंबर को बैंकॉक में आयोजित अन्तराष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन में सृजन श्री सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. हमें ख़ुशी है कि रवीन्द्र प्रभात जैसे कुशल रचनाकार आज हिंदी ब्लॉगिंग के अग्रणी शीर्ष पुरुष हैं . उन्हें बधाईयाँ,शुभकामनाएं और नमन !

अरविन्द शर्मा 21 नवंबर 2011 को 5:49 pm बजे  

सही कहा आपने पाण्डेय जी, रवीन्द्र जी साहित्य और ब्लॉगिंग में सार्थक हस्तक्षेप रहते हैं , यह उनका समर्पण है .

गीतेश 21 नवंबर 2011 को 6:00 pm बजे  

जानकारी के लिए आभार !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 21 नवंबर 2011 को 7:19 pm बजे  

सुंदर आलेख जानकारी देने के लिए आभार....
मेरे पोस्ट में स्वागत है...

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