प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ. Blogger द्वारा संचालित.
प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जहां आपके प्रगतिशील विचारों को सामूहिक जनचेतना से सीधे जोड़ने हेतु हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं !



ग़ज़लगंगा.dg: चांद निकला भी नहीं था और सूरज ढल गया.

सोमवार, 10 सितंबर 2012

एक लम्हा जिंदगी का आते-आते टल गया.
चांद निकला भी नहीं था और सूरज ढल गया.

अब हवा चंदन की खुश्बू की तलब करती रहे
जिसको जलना था यहां पर सादगी से जल गया.

धीरे-धीरे वक़्त ने चेहरे की रौनक छीन ली
होंठ से सुर्खी गयी और आंख से काजल गया.

आज मैं जैसा भी हूं तेरा करम है और क्या
तूने जिस सांचे में ढाला मैं उसी में ढल गया.

फिर उसूलों की किताबें किसलिए पढ़ते हैं हम
जिसको जब मौक़ा मिला इक दूसरे को छल गया.

अपना साया तक नहीं था, साथ जो देता मेरा
धूप में घर से निकलना आज मुझको खल गया.

बारहा हारी हुई बाज़ी भी उसने जीत ली
चलते-चलते यक-ब-यक कुछ चाल ऐसी चल गया.

---देवेंद्र गौतम

Read more: http://www.gazalganga.in/2012/09/blog-post_7.html#ixzz261tqwl6Uग़ज़लगंगा.dg: चांद निकला भी नहीं था और सूरज ढल गया.:

'via Blog this'

2 comments:

दीपिका रानी 10 सितंबर 2012 को 10:41 am बजे  

बेहद खूबसूरत शेर सभी... ज़िन्दगी से जुड़े हुए

एक टिप्पणी भेजें

www.hamarivani.com

About This Blog

भारतीय ब्लॉग्स का संपूर्ण मंच

join india

Blog Mandli
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
apna blog

  © Blogger template The Professional Template II by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP