क्यों जरूरी है ब्लॉग शिष्टाचार ?
सोमवार, 14 फ़रवरी 2011
कहा गया है कि ब्लोगिंग की दुनिया पूरी तरह स्वतंत्र,आत्म निर्भर और मनमौजी किस्म की है !यहाँ आप स्वयं लेखक,प्रकाशक और संपादक की भूमिका में होते हैं !ब्लॉग की दुनिया समय और दूरी के सामान अत्यंत विस्तृत और व्यापक है !यहाँ केवल राजनीतिक टिप्पणियाँ और साहित्यिक रचनाएँ ही नहीं प्रस्तुत की जाती वल्कि महत्वपूर्ण किताबों का इ प्रकाशन तथा अन्य सामग्रियां भी प्रकाशित की जाती है .आज हिंदी में भी फोटो ब्लॉग, म्यूजिक ब्लॉग, पोडकास्ट, , विडिओ ब्लॉग, सामूहिक ब्लॉग, प्रोजेक्ट ब्लॉग,कारपोरेट ब्लॉग आदि का प्रचलन तेजी से बढ़ा है !यानी हिंदी चिट्ठाकारिता आज संवेदनात्मक दौर में पहुँच चुकी है !
जैसा कि आप सभी को विदित है कि चाहे जीवन क्षेत्र हो अथवा कर्मक्षेत्र , हर जगह निति-नियम का बहुत महत्व होता है । जहां तक ब्लोगिंग का सवाल है यदि आप अपनी भाषा पर,व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो धीरे-धीरे आप अलग-थलग पड़ते जायेंगे, क्योंकि निति नियम किसी आयु विशेष के लिए ही है, ऐसा नहीं है यह आजीवन , निरंतर,अविराम चलने वाली क्रिया है । इसी से मनुष्य जीवन में सफलता और विकास प्राप्त कर सकता है ।
इसलिए मेरा मानना है, कि आज जब हिंदी ब्लोगिंग अत्यंत संवेदनात्मक दौर से गुजर रही है , कोशिश की जाए कि हमारे सभी ब्लोगर साथी नीतिवान, संस्कारवान,सच्चरित्र और अनुशासित हों तभी हम ब्लोगिंग के माध्यम से एक नए सह-अस्तित्व की परिकल्पना को मूर्त रूप देने में सफल हो सकेंगे ।
इस विषय पर हम बात करें उससे पहले यह जान लेना हमारे लिए आवश्यक है कि क्या है ब्लोगिंग का मूल अभिप्राय ?
तो आईये पहले हम आपको ले चलते हैं ब्लॉग की सच्ची दुनिया में-ब्लॉग यद्यपि अंग्रेजी के चार अक्षरों का समूह है , यानी B L O और G ,इन चारो अक्षरों का अभिप्राय है -
B - Brief ( सारांश )
L - Logical (तर्कसंगत)
O - Operation (क्रिया)
G - Genuine (वास्तविक)अब नीचे से ऊपर की ओर शब्दों को मिलाईये , ब्लॉग की परिभाषा अपने आप स्पष्ट हो जायेगी -
अर्थात- वास्तविक क्रिया के द्वारा तर्कसंगत ढंग से सारांश प्रस्तुत करना ही ब्लॉग है ।
(१) सारांश का मतलब होता है - संक्षेप में विषय का सार प्रस्तुत करना
इसलिए ब्लॉग की पहली प्राथमिकता होती है छोटा लिखा जाए । अर्थात कम से कम शब्दों में लिखने का प्रयास किया जाए । लोगों के पास वक़्त कम होता है, लंबे लेख को कोई आधा पढ़े इससे अच्छा है छोटा लेख पूरा पढ़े ।
इसलिए ब्लॉग की पहली प्राथमिकता होती है छोटा लिखा जाए । अर्थात कम से कम शब्दों में लिखने का प्रयास किया जाए । लोगों के पास वक़्त कम होता है, लंबे लेख को कोई आधा पढ़े इससे अच्छा है छोटा लेख पूरा पढ़े ।
(२) तर्कसंगत का मतलब होता है - प्रमाणिकता
इसलिए जो भी प्रस्तुत किया जाए वह पूर्णत: प्रमाणिक हो मनगढ़ंत न हो और जब भी आवश्यकता महसूस हो सन्दर्भ प्रस्तुत कर उसे प्रमाणित कर दिया जाए , यदि पोस्ट लेखन के दौरान आप कोई सन्दर्भ देते हैं तो कोशिश करें कि उसके साथ लिंक लगाया जाए ।इससे आपकी विश्वसनीयता बनी रहेगी । यही है ब्लॉग की दूसरी प्राथमिकता ।
(३) क्रिया का मतलब है - आरंभिक तकनीकी जानकारी के साथ कार्य करना
अर्थात यदि आपको एक कुशल ब्लोगर बनना है तो आरंभिक तकनीकी जानकारी रखते हुए कार्य करना होगा नहीं तो ब्लोगिंग में हमेशा अवरोध की स्थिति बनी रहेगी । यही है ब्लॉग की तीसरी प्राथमिकता ।
(४) वास्तविक का मतलब है - ईमानदारी और पारदर्शिता
अर्थात आपके लेखन में ईमानदारी और पारदर्शिता होनी चाहिए ,क्योंकि एक बार झूठ साबित हो जाने पर लोग आपकी सच्चाई पर शक करने लगेंगे और आप अपना पाठक वर्ग खो देंगे । यही है ब्लोगिंग की चौथी प्राथमिकता ।
इसके अतिरिक्त ब्लॉग शिष्टाचार के अंतर्गत आपको भाषा के व्याकरण पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना होगा । यह सही है कि ब्लॉग आपका पर्सनल मामला है और इसे किसी भी भाषा में और कैसे भी लिखने के लिए आप स्वतंत्र हैं । फिर भी आप चाहते हैं कि आपकी लेखनी अधिक से अधिक लोग पढ़ें तो भाषा और वर्तनी की शुद्धता पर अवश्य ध्यान देना होगा । व्याकरण एकदम शुद्ध रखने का प्रयास करना होगा । यदि उसमें कोई गलती हो तो संज्ञान में आते ही सुधारने का प्रयास करें । इसके अलावा गलती मानने की प्रवृति अपनाएं , क्योंकि कोई भी हमेशा सही नहीं हो सकता । यदि आपसे जाने-अनजाने में कोई गलती हो जाए तो वजाए तर्क-वितर्क के गलती मान लेनी चाहिए । इससे दूसरों की नज़रों में आपका सम्मान बढेगा । एक और महत्वपूर्ण बात है ब्लोगिंग के सन्दर्भ में कि ब्लॉग पढ़ने के लिए किसी को भी बाध्य न करें ,क्योंकि इससे आप अपनी प्रतिष्ठा खो देंगे । एक-दो बार लोग आपका मन रखने के लिए टिप्पणी तो कर देंगे ,किन्तु आपके पोस्ट से उनकी दिलचस्पी हट जायेगी । और हाँ कोशिश यह अवश्य करें कि कोई भी टिप्पणी आप अपने नाम से ही करें , क्योंकि लोग आपके विचारों को पहचानते हैं । अपनी पहचान को क्षति न पहुचाएं । स्वयं के प्रति ईमानदार बने रहें । एक और महत्वपूर्ण बात कि लेखन की जिम्मेदारी लेना लेखक की विश्वसनीयता मानी जाती है । कोई हरदम आपकी तारीफ़ नहीं कर सकता , कभी आपको कटाक्ष का दंश भी झेलना पड़ता है ऐसे में कटाक्ष पर शांत रहना सीखें ताकि आप उस आग में जलकर कंचन की भांति और निखर सकें ।
लोग ब्लॉग को भले ही व्यक्तिगत डायरी के रूप में लिखते हैं, किन्तु अंतरजाल पर आ जाने के बाद उसे पूरा विश्व पढ़ता है । इसलिए मैं ब्लॉग को निजी डायरी नहीं मानता । यह वह खुला पन्ना है , जो सारी दुनिया में आपके विचार को विस्तारित करता है । इसलिए जो भी आप लिखें उसे दुबारा जरूर पढ़ें । क्या लिखा है , उसके क्या परिणाम हो सकते हैं इसपर विचार अवश्य करें । ध्यान दें- आपका लिखा हुआ कई सालों बाद सन्दर्भ के लिए लिया जा सकता है ।
मेरे समझ से ब्लोगिंग क्या है इस विषय पर आप सभी का दृष्टिकोण स्पष्ट हो गया होगा . अब आईये इस विषय पर आगे बढ़ते हैं कि अच्छे औए सच्चे ब्लॉग लेखन के लिए क्या जरूरी है ?
अपनी राय भी परोसें :कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि लोग अपने ब्लॉग पर समाचार परोसते हैं, किन्तु समाचार के साथ यदि आप अपनी राय भी परोसें तो मेरा मानना है कि आप अपने आकर्षण से ज्यादा पाठक वर्ग हासिल कर सकते हैं ! क्योंकि समाचार लगभग सभी पाठक पहले से ही पढ़ चुके होते हैं ।
हमेशा सकारात्मक बने रहे :अच्छे ब्लॉग लेखन के लिए जरूरी है आप हमेशा सकारात्मक सोचे, सकारात्मक टिप्पणी करें और सकारात्मक पोस्ट लिखें । सारे नकारात्मक भावों को झटके से किनारे कर दें और सकारात्मकता को हमेशा के लिए अंगीकार करें । साथ ही आपसे जुड़े जो भी ब्लोगर हैं उन्हें भी सकारात्मक बने रहने की शिक्षा दें ।
अपनी पसंद के विचारों को महत्व दें : पोस्ट लेखन के दौरान आप वही लिखें जो आपको पसंद हो । यदि आप किसी ऐसे पोस्ट से गुजरते हैं जो आपको नापसंद हो तो कोई जरूरी नहीं कि आप अपनी नकारात्मकता को टिप्पणी के माध्यम से प्रदर्शित करे हीं । आप उस पोस्ट से अपने को अलग करते हुए अगले पोस्ट की ओर बढ़ जाईये , व्यर्थ की विवादों में अपना समय न गवाएं ।
बार -बार आत्मचिंतन करें : जिन चिजों की कमी आपके अन्दर है, आप उन्हें लेकर खुद को कम मत आंकिये । इस कॉम्पलेक्स से बाहर आईये । इसका रास्ता है कि आप केवल अपनी पोजिटिव चिजों पर ही ध्यान दीजिये ,बजाय उन चिजों के जो आपके अन्दर नहीं है और दूसरे ब्लोगर के अन्दर है । सोचिये क्या व्यक्ति की पाँचों ऊँगलिया बराबर होती है ?
दूसरों को नीचा मत दिखाएँ :कुछ लोगों को दूसरों को नीचा दिखाने में मजा आता है । ऐसे लोग जानबूझ कर अनाप-सनाप टिप्पणी करते हैं । दूसरों का दिल दुखाते है । उन्हें परेशान करते हैं, ताकि वे खुद को सुपीरियर साबित कर सके । यदि आप ऐसे लोगों से घिरे हैं तो उन्हें महत्व मत दीजिये, किन्तु कोई आपकी सेल्फ स्टीम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करे तो अपने भीतर उनसे सामना करने की ताक़त जरूर विकसित करें ।
अपने गुणों को सामने लायें : हर व्यक्ति में कोई -न-कोई गुण अवश्य होते हैं, जो उन्हें औरों से अलग करते हैं । अपने इन्हीं गुणों को ढूंढिए और ब्लोगिंग के माध्यम से उसका विकास कीजिये । इससे आपकी सेल्फ स्टीम में इजाफा होगा और आप खुद को लेकर अच्छा महसूस करेंगे ।
हमेशा खुश रहना सीखें : आपके पोस्ट पर किसी दिन बहुत टिप्पणी आई और आप खुश हो गए , दूसरे दिन कम टिप्पणी आई आप निराश हो गए और किसी दिन कोई टिप्पणी नहीं आई तो आपके भीतर नकारात्मक पहलू पनपने लगे । ऐसा नहीं होना चाहिए । ध्यान दें : टिप्पणी आपके पोस्ट का मानक नहीं है , बल्कि आपका लेखन आपकी योग्यता का मानक है ।
बेनामी टिपण्णी करने से बचें : बेनामी टिप्पणी करके तर्कहीन बातें न करें . यदि आप अपना नाम देकर टिपण्णी नहीं कर पा रहे हैं तो बेहतर है कि आप टिपण्णी न करें . लोग आपके विचारों को पहचानते हैं, अपनी पहचान को क्षति न पहुंचाएं ! स्वयं के प्रति ईमानदार रहें !
यह प्रकृति का नियम है ,कि - " हर अगला कदम पिछले कदम से खौफ खाता है ...!" यह खौफ सकारात्मक भी हो सकता है, नकारात्मक भी और विध्वंसात्मक भी । सकारात्मक कदम अपने प्रतिद्वंदी से सर्वथा आगे रहने का प्रयास अपनी योग्यता/प्रतिभा और पुरुषार्थ के बल पर करता है, नकारात्मक कदम सर्वथा अपने प्रतिद्वंदी की आलोचना करता है और विध्वंसात्मक कदम प्रतिद्वंदी को चोट/पीड़ा/दु:ख पहुंचाने की कोशिश करता है ।
बेनामी या छद्म प्रोफाईल से की गयी टिप्पणी विध्वंसात्मक कदम का एक हिस्सा है । यह काम कमोवेश वही ब्लोगर करते हैं, जिन्हें आपके होने से अस्तित्व संकट का खतरा महसूस होता है । इस प्रकार की टिप्पणी आपके मित्र ब्लोगर भी कर सकते हैं और प्रतिद्वंदी भी ।
सच तो ये है कि बेनामी या छद्म प्रोफाईल से की गयी टिप्पणी करना अवगुण ही नहीं एक प्रकार का मानसिक रोग भी है । इसलिए बेनामी टिप्पणियों की पहचान होने पर उसे सार्वजनिक न करें , बल्कि यदि वह मित्र है तो उससे दूरी बनाएं और यदि वह प्रतिद्वंदी है तो मित्र ब्लोगर्स से सलाह-मशविरा के बाद उसका सामाजिक वहिष्कार करें ।साफ़-सुथरी ब्लोगिंग के लिए यह आवश्यक है ।
कभी भी बेनामी या छद्म प्रोफाईल से की गयी टिप्पणियों पर उत्तेजित न हो ,क्योंकि यदि आप उत्तेजित होकर असंसदीय भाषा में टिप्पणी कर बैठते हैं तो वह (बेनामी ब्लोगर )अपने उद्देश्य में सफल हो जाएगा । इसलिए विध्वंसक टिप्पणियों की पहचान कर उसकी कॉपी अपने पास सुरक्षित रखते हुए कॉमेंट को मॉडरेट कर दें ।
ऐसा करके आप एक सार्थक और सकारात्मक ब्लोगिंग को बढ़ावा दे सकते हैं, साथ ही एक प्रतिष्ठित ब्लोगर के रूप में पहचान बनाने में सफल हो सकते हैं !
() रवीन्द्र प्रभात
11 comments:
यही कुछ बात है आपमें सर, कि आप शालीनता से वह सब कुछ कह जाते हैं जिसकी दरकार हिंदी ब्लोगिंग को है, आपको प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ में देखकर अचंभित ही नहीं गौरवान्वित भी हूँ !
इतने व्यवस्थित ढंग से आप लिखते हैं और कहते हैं कि लगता है इससे सही ढंग हो ही नहीं सकता है ....
रविन्द्र जी,
यह पोस्ट पुराने ब्लागर्स के आत्म मंथन एवं नए ब्लॉगर्स के मार्ग दर्शन के बहुत ही उपयोगी है। अगर सभी आत्म चिंतन कर सार्थक ब्लॉगिंग करें तो कहीं कोई समस्या ही नहीं है।
इस लेख को मैं बुकमार्क कर रहा हूँ।
आभार
अच्छा उपाय हैं, कभी जरुरत पड़ी तो जरुर आजमाएंगे.
रविन्द्र प्रभात जी,
एक ब्लागर के लिए इस से अच्छा अनुशासन नहीं हो सकता है। जिस में इतना अनुशासन हो जाए वह श्रेष्ठ तो हो ही जाएगा।
एक आदर्श ब्लागर बनने के लिए उसमें ये सारे गुण होना अनिवार्य है जो आपने बताया। अच्छा मार्गदर्शन। धन्यवाद।
खुलकर कीजिए बात जैसे अपने घर में करते हैं !
रवींद्र जी,
ब्लोगर एक प्रबुद्ध वर्ग है और उससे अनुशासन और भाषा संयम की अपेक्षा करना एकदम तर्कसंगत है. शालीनता और संयम से ही आपके व्यक्तित्व की एक पहचान बनती है. ऐसा लिखें की जिससे पढ़ने वाले को कोई सन्देश मिले. अनर्गल बातों पर पोस्ट डालना आपकी छवि को ही धूमिल कर सकती है. अपने जितने भी तथ्य प्रस्तुत किये हैं सभी अनुगमनीय हैं.
एक दिशा निश्चित करने करने की ओर आपकी पहल सराहनीय है.
सही सुझाव। पर लोग मानें तब न।
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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
ek sarv maanya aachaar samhitaa hai yah ......sabhee ke liye anivaary.
shukriya Sir !
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