उसकी खता क्या थी?
बुधवार, 23 फ़रवरी 2011
आना चाहती थी वो
तुम्हारे जीवन में
तुम्हारा अक्स बनके
बिखेरने को खुशियाँ
कि उसकी हर अदा पे
कि उसकी हर अदा पे
मुस्कुराहटें तुमको भी मिलती
जीती वो भी कुछ पल
सौगातें उसको भी मिलतीं
आना पायी वो
आना पायी वो
देख न पायी इस जहान को
क्यों छीन लिया तुमने
आने वाली उस सांस को
हो तुम कुसूरवार
हो तुम कुसूरवार
सब कहेंगे मगर
अरे ये तो बात दो
उसकी खता क्या थी?
(न तो मैं इसे शायरी कह सकता हूँ न कविता और न ही मैं उर्दू भाषा जानता हूँ बस इन पंक्तियों के माध्यम से स्त्री भ्रूण हत्या को रोकने का एक आह्वान करने का प्रयास मात्र किया है)
(न तो मैं इसे शायरी कह सकता हूँ न कविता और न ही मैं उर्दू भाषा जानता हूँ बस इन पंक्तियों के माध्यम से स्त्री भ्रूण हत्या को रोकने का एक आह्वान करने का प्रयास मात्र किया है)
8 comments:
दिल को छूती रचना।
किसी दर्द को खूबसूरती से दर्शाती रचना |
सुन्दर रचना |
इस मर्मस्पर्शी रचना के लिए एक बार पुन: बधाई।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया.
चर्चा मंच पर लेने के लिए वंदना जी का विशेष आभार.
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
बहुत मर्मस्पर्शी रचना !
खूबसूरत रचना बधाई।
sarahniy prayas...marmik rachna.
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