जो जीता वही सिकंदर...
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
नदियाँ अलग थी,
नाव अलग थे,
दर्द अलग थे...
पर मन की दशा एक थी॥
दानवीरता मन की कमजोरी होती है
सहनशीलता मन की कमजोरी होती है
सच पूछो तो प्यार अपने आप में एक कमजोरी होती है...
प्यार ही दान है
प्यार सहनशीलता है...
ऐसे कमज़ोर मन को बीमारियाँ होती हैं॥
ऐसे ही कमज़ोर मन पर
हिंसक प्रहार होते हैं,
विश्वासघात होते हैं...
मन की ऐसी दशा में भी मैं जीना चाहती हूँ....
हर बार टूटकर फिर जुड़ जाती हूँ
खैरात की ज़िन्दगी ही सही
कुछ खुद्दारी निभा लेती हूँ
और जहाँ दर्द बांटना है,बाँट कर सहज हो जाती हूँ...
अगर कोई दुःख देता है
तो टुकड़े-टुकड़े कोई दर्द को सहलाता भी है
मन की उलझनें वक़्त की उलझनें
अलग-अलग होती हैं...
ताल-मेल खुद बैठाना होता है
कोई हारता है,कोई जीतता है॥
खेल कोई भी हो नियम यही होता है॥
पर सिकंदर वही है जो हारी बाजी को जीत जाता है...
8 comments:
मन की उलझनें वक़्त की उलझनें
अलग-अलग होती हैं...
ताल-मेल खुद बैठाना होता है
कोई हारता है,कोई जीतता है॥
खेल कोई भी हो नियम यही होता है॥
पर सिकंदर वही है जो हारी बाजी को जीत जाता है...
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने हर पंक्ति विजयी भाव लिये ...प्रेरक संदेश भी दे रही है... बधाई इस अनुपम प्रस्तुति के लिये ...।
पर सिकंदर वही है जो हारी बाजी को जीत जाता है...
बिल्कुल ठीक बात कही है……………बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।
यह शाश्वत सत्य है कि जो जीतता है वाही मुक्कदर का सिकंदर होता है, किन्तु इसी भाव की व्यापकता को आपने कुछ अलग अंदाज़ में परोसकर लालित्य पैदा कर दिया है , इस सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति के लिए बधाई !
बेहतरीन, बधाई!
बिलकुल सही कहा। शुभकामनायें।
मन की उलझनें वक़्त की उलझनें
अलग-अलग होती हैं...
ताल-मेल खुद बैठाना होता है
कोई हारता है,कोई जीतता है॥
खेल कोई भी हो नियम यही होता है॥
पर सिकंदर वही है जो हारी बाजी को जीत जाता है...
बहुत खूब..सार्थक और सटीक प्रस्तुति..हर पंक्ति मन को छू जाती है..
प्रेरणा देती अच्छी रचना ....संघर्ष ही जीवन है ...
सार्थक और सटीक प्रस्तुति.
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