प्रभु की बारी ......
शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011
कागज़ की नाव हो
या ,
कित - कित खेल का गिट्टा फेंकना
कबड्डी की ति ..ति ..ति हो
या , आँख मिचौली की जगह
प्रभु ,
मैंने तुम्हारा हाथ कभी नहीं छोड़ा ...
सुना था ,पढ़ा था ...
'दुःख मे सुमिरन सब करे
सुख मे करे न कोए ....'
बहुत दुःख हुआ था
और विद्या की ली थी कसम -
सुख मे सबसे पहला नाम तुम्हारा होगा .
तुमको क्या बताना ? और कैसी दुहाई ?...सब जानते हो !
लेकिन प्रभु ,
एक बात मैं भी जानती हूँ
कि ,
कभी - कभी तुम मनुष्य का मुखौटा पहन लेते हो ,
और अजनबी - सा व्यवहार करते हो ,
कान मे ऊँगली डाल लेते हो ,
सारा प्यार भूलकर
बातों को अनसुनी कर देते हो .
तुमने क्या सोचा ? मैं डर जाऊँगी ?
नहीं प्रभु ,
जिन्हें मैं प्यार करती हूँ उनकी गुस्से भरी आरती भी उतारती हूँ ...
तो अब तुम डरो !क्योंकि ,
मैं न तुम्हे नहलाऊँगी ,
न सजाऊँगी ,
न दूंगी कुछ खाने को ,
न दीपक जलाऊंगी ...........रहो अँधेरे मे भूखे , सहमे !
और नहीं , तो उठो -दर्शन दो ,प्रकाश फैलाओ
अपनी गलती मान
मुझे कृतज्ञ करो प्रभु ,
एक बार यह चमत्कार कर दो !
15 comments:
आपकी यह धमकी प्रभु पर ज़रूर असर करेगी :):)
बहुत अच्छी प्रस्तुति
प्रभु पर क्या असर करेगी यह तो पता नहीं पर ऐसी धमकियाँ अक्सर मेरी बीवी मुझे देती है और यकीन करिये बहुत फटाफट असर होता है :)
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति, नाराजगी प्रेम का ही दूसरा रूप है ....!
उठो -दर्शन दो ,प्रकाश फैलाओ
अपनी गलती मान
मुझे कृतज्ञ करो प्रभु ,
एक बार यह चमत्कार कर दो !
ये भी विश्वास का दूसरा रूप है .....बहुत ही सुन्दर भावों से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
एक भक्त ही प्रभु को ऐसी धमकी दे सकता है और उसे सुननी भी पड्ती है……………बेहतरीन अभिव्यक्ति।
जब सीढ़ी अंगुली से घी नहीं निकलता है तो फिर उसको टेढ़ा ही करना पड़ता है. चाहे प्रभु हों या फिर कोई इंसान.
इतना अपनत्व तो यही दर्शाता है की आप उनके बेहद करीब हैं और वो आपको बहुत अच्छे से जानता भी है फिर मुराद पूरी न होने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है दोस्त और जहां इन्सान अपना हक समझता है वो रिश्ता तो दूर कभी हो ही नहीं सकता |
बहुत सुन्दर रचना |
बेहतरीन अभिव्यक्ति।”
बहुत सुन्दर रचना |
कोई किसी को भी धमकी दे सकता है क्या ? जवाब होगा नहीं। जो अपना होता है उसी को तो धमकी दी जाती है और प्रभु अपने ही हैं। सो धमकी दे दी। अब अपनों पर धमकी का असर तो होगा ही।
भगवान पर अधिकार जताती अच्छी रचना।
इतनी प्यार भरी धमकी से कोई कब तक नहीं डरेगा ...!
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01-03 - 2011
को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
हमारे इर्दगिर्द इतना कुछ अच्छा होना ही ईश्वर को दर्शाता है... हम तो सिर्फ़ अपने लिये ईश्वर को याद रखते हैं... ईश्वर बिना कियी स्वार्थ के हमेशा हमारे साथ रहता है....उसके स्मरण मात्र से दुखों का अन्त हो जाता है....
सुन्दर रचना लिखते रहिये
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
धमकी का असर हुआ न ? होगा ही !
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