पाठ्यक्रम के साथ खिलवाड़ ....दंडनीय अपराध होना चाहिए.
गुरुवार, 10 मार्च 2011
ब्रिटिश पीरियड में आभिजात्य वर्ग के लिए प्रारम्भ किया गया आई.सी.एस.ई. पाठ्यक्रम आज भी हमारे देश में चल रहा है जिसका उद्देश्य और कुछ भी रहा हो पर विद्यार्थी में भारत के प्रति प्रेम उत्पन्न करना तो बिलकुल नहीं था. यह पाठ्यक्रम आज भी भारतीय पृष्ठ भूमि से अपने को जोड़ नहीं सका है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को आतंकियों और अतिवादी के रूप में नयी पीढी से परिचित कराना लापरवाही कदापि नहीं है बल्कि एक आपराधिक षड्यंत्र है इसलिए ऐसे प्रकाशन के लिए उत्तरदायी लोगों को सजा दी जानी चाहिए. इस पुस्तक में देशभक्त शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आतंकी तथा बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल को "चरम पंथी और लड़ाकू" बताया गया है. जो हमारे देश के लिए पूज्य और अति सम्माननीय हैं उनकी गलत छवि प्रस्तुत करके पूरे देश के साथ विश्वासघात किया गया है. क्या अदालत द्वारा प्रकाशन में सावधानी मात्र का निर्देश दे दिया जाना इतनी बड़ी साजिश के लिए पर्याप्त है ? यह प्रश्न हम सभी देश वासियों के लिए विचारणीय है. हम इसे लापरवाही नहीं मान सकते ...यह टंकण की त्रुटि भी नहीं है....निश्चित ही यह एक गंभीर साजिश है. एक संप्रभुतासंपन्न लोकतांत्रिक देश में अपने सम्माननीय शहीदों के लिए प्रयुक्त अपमानजनक संबोधनों-विशेषणों के लिए यदि किसी को न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाना पड़े तो यह पूरे देश के लिए निहायत शर्मनाक विषय है. हर देशप्रेमी को ऐसे पाठ्यक्रमों का बहिष्कार कर देना चाहिए.
2 comments:
shi khaa jnab ne aesaa he bhi koi ho to btaayen dnd dilvaayenge . akhtar khan akela kota rajsthan
ऐसे लोगों को सबक मिलना ही चाहिए !
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