ग़ज़लगंगा.dg: ज़मीं बदली, फलक बदला.....
शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011
ग़ज़लगंगा.dg: ज़मीं बदली, फलक बदला.....: "ज़मीं बदली, फलक बदला, निज़ामे-दो-जहां बदला. मगर जिसको बदलना था अभी तक वो कहां बदला. गली बदली, नगर बदला, मकीं बदले, मकां बदला. बस इक लम्ह..."
यानी प्रब्लेस, जहां न क्षेत्र की बंदिशें, न जाति और धर्म की....केवल एक बिरादरी प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ की, आईए खुलकर कीजिए बात जैसे अपने घर में करते हैं !
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ग़ज़लगंगा.dg: ज़मीं बदली, फलक बदला.....: "ज़मीं बदली, फलक बदला, निज़ामे-दो-जहां बदला. मगर जिसको बदलना था अभी तक वो कहां बदला. गली बदली, नगर बदला, मकीं बदले, मकां बदला. बस इक लम्ह..."
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