माँ तेरे रूप अनेक ............
रविवार, 8 मई 2011
माँ तेरे रूप अनेक ............
माँ तेरे रूप अनेक ............
मेने एक माँ
जिसका कलेजा
उसका बेटा
अपनी पत्नी के कहने में आकर
निकाल कर लेजाता है और फिर
ठोकर लग कर
जमीन पर गिर जाता है
तब खून से लथपथ
माँ के कलेजे से
ममता भरी आवाज़ आती है
बेटा तेरे चोट तो नहीं लगी यह किस्सा भी सूना है .......
मेने एक लडका
जो बारम्बार चोरी कर
डकेत बन जाता है
और पकड़े जाने पर
जब उसे फांसी होती है
तब वोह आखरी इच्छा पूंछे जाने पर
माँ को पास बुलाता है
माँ के कान में कुछ कहने के नाम पर
गुस्से में उसका कान पूरा चबा जाता है
और बच्चा माँ से कहता है के पहली चोरी पर
अगर माँ मुझे रोक देती तो
आज में फांसी पर नहीं लटकाया जाता
मेने यह खतरनाक किस्सा भी सूना है
हां मेने देखा है
कई माएं
अपना फिगर बिगड़ने के चक्कर में
रोते बिलखते मासूम बच्चों को
अपना दूध नहीं पिलाती है
और पोडर का दूध पिलाकर
बच्चों को पाल पोसकर बढा करती है
फिर बताओं दूध का बच्चे पर कर्ज़ केसे कहलायेगा .....
मेने वोह माएं भी देखी हैं जो अपने बच्चों को
पिता के पास अकेला लावारिस बिलखता छोड़कर
अपने मायके चली जाती हैं ...
मेने वोह माये भी देखी है जो .
अपने बच्चों को गर्भ में ही मार डालती है
फिर भी माँ तो माँ ही होती है .............................
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
3 comments:
वाह. सुंदर विचार.
बहुत सुन्दर रचना!
--
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
--
बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
सुन्दर...
मातृदिवस की शुभकामनाएँ..
सादर
समीर लाल
http://udantashtari.blogspot.com/
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