विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश....
गुरुवार, 5 जुलाई 2012
विवाह जैसी संस्था की परिधि में उन्मुक्त प्रेम की तलाश है ‘प्रेम न हाट बिकाय’ उपन्यास : रवीद्र प्रभात
रवीन्द्र प्रभात , हिन्दी साहित्य में एक एसे साहित्यकार हैं जिन्होंने साहित्यिक ब्लॉगस को बड़ी गंभीरता से लिया और ब्लॉग के मुख्य विश्लेषको के रुप में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया । पर रवीन्द्र जी केवल वेब तक सीमित साहित्यकार नहीं हैं । हाल ही में उनका दूसरा उपन्यास “ प्रेम न हाट बिकाय” प्रकाशित हुआ हैं जो प्रेम संबंधो पर आधारित हैं । इससे पहले उनका उपन्यास “ ताकि बचा रहे लोकतन्त्र” भी चर्चित रहा । इससे पहले रवीन्द्र जी के दो ग़ज़ल संग्रह और एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं । इन सभी के बीच उनकी लिखी एक खास पुस्तक “ हिन्दी ब्लोगिंग का इतिहास “ जो पिछले वर्ष प्रकाशित हुयी भी एक महत्वपूर्ण पुस्तक हैं जो हिन्दी साहित्य तथा ब्लॉग के जुड़ाव के इतिहास की रोचक कहानी हैं ।
ब्लॉग श्री और ब्लॉग भूषण सम्मान से सम्मानित तथा परिकल्पना वेब पत्रिका के प्रधान संपादक रवीन्द्र प्रभात से उनके लेखन , उनके “ प्रेम न हाट बिकाय” नए उपन्यास और कई पहलुओ पर isahitya ने उनसे बातचीत की है ।
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