शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017
माननीय उच्चतम न्यायालय फैसला:
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया वह आने वाले समय में भारतीय समाज के लिए दूरदर्शी परिणाम लाएगा।कानून तो पहले भी था। परंतु अब स्पष्ट हो चुका। है , कि 18 साल से कम उम्र की बालिका से यौन सम्बन्ध बनाना उसके पति के लिए भी अपराध होगा ।
माननीय अदालत ने इसे धर्म और मजहब के बंधन में नही बांधा है , यह निर्णय देश में समान रूप से लागू होगा तथा देश में महिलाओं के स्वतन्त्रता सम्बन्धी अधिकारों को सुरक्षित करने में एक नई इबारत लिखेगा। इसके फायदे बिभिन्न क्षेत्रों में होंगे जैसे स्वास्थ के क्षेत्र जहाँ कम उम्र में अनीमिया से महिला प्रसव के दौरान मर जाती है वही शिशु मृत्यु दर में भी कमी आएगी। हमारे देश व समाज मे बालविवाह के रूप में जो सामाजिक बुराई व्याप्त है , जिसके कारण आज भी भारत के कई प्रान्तों में अशिक्षा के कारण गांवों में कम उम्र में ही लड़कियों की शादी उनकी मर्जी के खिलाफ कर दी जाती है । जबकि वह आगे भी पढ़ना चाहती है। इस फैंसले से गांव हो या शहर समाज मे एक बदलाव आने की सम्भावना है। शिक्षा के क्षेत्र मे भी धीरे धीरे ही सही परन्तु बदलाव जरूर होगा। छोटी लड़कियों को अपनी पढ़ाई बचपन में ही छोड़ने के लिए बाध्य नही होना पड़ेगा।सुप्रीमकोर्ट के दिशा निर्देश का पालन शासन भी करेगा । अदालती फैसले के कारण समाज मे अब शादी के वक्त बहू लाते वक्त परिवार उसकी उम्र जरूर पूछेगा। आशा है यह फैसला आने वाले समय में महिलाओं के लिए ही नही हमारे पूरे समाज के लिये वरदान साबित होगा।
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