साझा ब्लॉग में पद बाँटना भी एक छलावा है.
शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011
कुछ दिन पहले जब बड़े बड़े हवाई जहाज़ों (हिन्दी ब्लॉग संकलको) के क्रैश होने की खबरें आने लगी तो सभी ब्लॉगर मैं अपना खुद का हेलिकॉप्टर खरीद लेने का जोश दिखाई देने लगा. बहुत से स्वनिर्मित संकलक दिखाई देने लगे , कुछ मशहूर हुए कुछ छिपे रह गए और फिरहमारीवाणी के आने के बाद ,कुछ लोगों के जोश मैं कमी आयी. लेकिन हकीकत मैं देखें तो इन छोटे संकलकों से फ़ाएदा हुआ और आज यह निजी हलिकोप्टर की हैसीयत से अच्छा काम कर रहे हैं. अब अपने पसंद के ब्लोगेर्स को पढना आसान सा हो गया है.
अभी यह जोश ठंडा ही हुआ था की अचानक शुरू हुआ ब्लोगेर्स असोसिएसन बना लेने का जोश. और देखते ही देखते ५-५ ब्लोगेर्स असोसिएसन बन गए ,लोगों को नेओता भेजा जाने लगा , लोग बात करने लगे यहाँ जाओ वहां ना जाओ यह इसका है यह उसका है. कौन किसका है यह तो पता नहीं लेकिन यह बात साफ़ साफ़ दिखाई दी की अपने ब्लॉग का प्रचार करने का आसान रास्ता लोगों को मिल गया और नए पाठक मिलने की उम्मीद लिए लोगों दना दन न्योते स्वीकार करके लेख भी लिखने शुरू कर दिए. कुछ ने तो केवल दोस्तों के असोसिएसन से खुद को जोड़ा और कुछ तो दुश्मनों से भी जा मिले. यह तो साफ़ दिखाई दे रहा है कुछ दिन यह असोसिएसन का बुखार हॉट हॉट रहेगा.
सभी ब्लोग्गर्स जोश मैं हैं कोई आजमगढ़ जीत रहा है कोई लखनऊ तो कोई यूपी कोई बिहार, कोई कोई तो पूरा हिन्दुस्तान. वो गाना याद आ गया की..
लखनऊ हीले ,यूपी हीले सारा हिन्दुस्तान हीले ला
ब्लोगर असोसिएसन जब बनेला तो सारा ब्लॉगजगत हीले ला
मुझे भी बुढ़ापे मैं संयोजकों की लहराती चाल देख के जोश चढ़ा संकलक तो मैं पहले ही बना ही चुका था और उसका फ़ाएदा भी मिला अब जौनपुर ब्लोगेर्स असोसिएसन भी बना डाली. बस एक बात का ध्यान इसमें रखा है की यह कहीं कूड़ेदान बन के ना रह जाए. इसलिए यहाँ केवल उन्ही को आमंत्रित किया जिनको जौनपुर से लगाव है , आना जाना है या उनका वतन है. मुंबई मैं वतन से दूर वतन की याद हमेशा आती रही अब मौक़ा मिला की मुंबई मैं बैठ के जौनपुर, लखनऊ ,कानपूर बनारस , इलाहबाद का मज़ा लिया जाए तो ऐसा मौक़ा कैसे हाथ से जाने देता.
वैसे भी नुकसान मैं फ़ाएदा तलाश लेना मेरी आदत सी रही है. अब यह नुकसान चाहे हिंदी ब्लॉग संकलकों के बंद होने का हो या फिर ब्लोगेर्स असोसिएसन मैं झगड़ों का.
यदि कोई भी ब्लोगर मेरे बताए हुए इलाके से है और जौनपुर का मज़ा अपने शहर मैं बैठ के लेना चाहता है तो मुझे मेल कर दे , उसको शामिल किया जाएगा.
किसी भी साझा ब्लॉग की कामयाबी उसके मेम्बर्स पे निर्भर किया करती है ना की उसके किसी पदाधिकारी पर . वैसे भी साझा ब्लॉग मैं पद बाँटना भी एक छलावा है. संयोजक को ही सारी ज़िम्मेदारी उठाने चाहिए और साझा ब्लॉग का मकसद भी साफ़ होना चाहिए. ठीक उसी प्रकार ब्लॉग विश्लेषण भी एक ऐसा फरेब है जो अधिकतर जाती फाएदे को ध्यान मैं रख के किया जाता रहा है.
अभी यह जोश ठंडा ही हुआ था की अचानक शुरू हुआ ब्लोगेर्स असोसिएसन बना लेने का जोश. और देखते ही देखते ५-५ ब्लोगेर्स असोसिएसन बन गए ,लोगों को नेओता भेजा जाने लगा , लोग बात करने लगे यहाँ जाओ वहां ना जाओ यह इसका है यह उसका है. कौन किसका है यह तो पता नहीं लेकिन यह बात साफ़ साफ़ दिखाई दी की अपने ब्लॉग का प्रचार करने का आसान रास्ता लोगों को मिल गया और नए पाठक मिलने की उम्मीद लिए लोगों दना दन न्योते स्वीकार करके लेख भी लिखने शुरू कर दिए. कुछ ने तो केवल दोस्तों के असोसिएसन से खुद को जोड़ा और कुछ तो दुश्मनों से भी जा मिले. यह तो साफ़ दिखाई दे रहा है कुछ दिन यह असोसिएसन का बुखार हॉट हॉट रहेगा.
सभी ब्लोग्गर्स जोश मैं हैं कोई आजमगढ़ जीत रहा है कोई लखनऊ तो कोई यूपी कोई बिहार, कोई कोई तो पूरा हिन्दुस्तान. वो गाना याद आ गया की..
लखनऊ हीले ,यूपी हीले सारा हिन्दुस्तान हीले ला
ब्लोगर असोसिएसन जब बनेला तो सारा ब्लॉगजगत हीले ला
मुझे भी बुढ़ापे मैं संयोजकों की लहराती चाल देख के जोश चढ़ा संकलक तो मैं पहले ही बना ही चुका था और उसका फ़ाएदा भी मिला अब जौनपुर ब्लोगेर्स असोसिएसन भी बना डाली. बस एक बात का ध्यान इसमें रखा है की यह कहीं कूड़ेदान बन के ना रह जाए. इसलिए यहाँ केवल उन्ही को आमंत्रित किया जिनको जौनपुर से लगाव है , आना जाना है या उनका वतन है. मुंबई मैं वतन से दूर वतन की याद हमेशा आती रही अब मौक़ा मिला की मुंबई मैं बैठ के जौनपुर, लखनऊ ,कानपूर बनारस , इलाहबाद का मज़ा लिया जाए तो ऐसा मौक़ा कैसे हाथ से जाने देता.
वैसे भी नुकसान मैं फ़ाएदा तलाश लेना मेरी आदत सी रही है. अब यह नुकसान चाहे हिंदी ब्लॉग संकलकों के बंद होने का हो या फिर ब्लोगेर्स असोसिएसन मैं झगड़ों का.
यदि कोई भी ब्लोगर मेरे बताए हुए इलाके से है और जौनपुर का मज़ा अपने शहर मैं बैठ के लेना चाहता है तो मुझे मेल कर दे , उसको शामिल किया जाएगा.
किसी भी साझा ब्लॉग की कामयाबी उसके मेम्बर्स पे निर्भर किया करती है ना की उसके किसी पदाधिकारी पर . वैसे भी साझा ब्लॉग मैं पद बाँटना भी एक छलावा है. संयोजक को ही सारी ज़िम्मेदारी उठाने चाहिए और साझा ब्लॉग का मकसद भी साफ़ होना चाहिए. ठीक उसी प्रकार ब्लॉग विश्लेषण भी एक ऐसा फरेब है जो अधिकतर जाती फाएदे को ध्यान मैं रख के किया जाता रहा है.
जौनपुर ब्लोगेर्स और अमन का पैग़ाम की आवाज़ अर्चना चावजी को सुनें
जौनपुर का इतिहास.
14 comments:
blog jagat me vastav me ek bhoochal sa aaya hai.aap sahi kah rahe hain lekhakon ki sankhya bahut badh gayee hai kintu ye samjh me nahi aaya ki isme dushman-dost kaun ho gaye.kam se kam is jagat me to dushmani ki chhaya nahi padni chahiye...
सहमत हूं
सही कह रहे हैं,
सब अपने अपने स्तर पर लगे हैं.
सहमत हूं
आपकी बातें जायज है मासूम साहब, यही सच है !
it depend on the mentality of moderator.
agree with u
बिलकुल सही कहा आपने.
:-) बढ़िया है!!!
बेहतरीन प्रस्तुति ।
आपके संकलन में मेरे ब्लॉग्स नहीं हैं ....वैसे काफी ब्लोग्स का पता मिला आपके संकलन से ..आभार
संगीता स्वरुप ( गीत )आपका ब्लॉग अवश्य जोड़ लिया जाएगा
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अर्रे इक का भय भैया इतनी सहमती? का ब्लॉग पढ़े बिना सहमती जाता दी ? धन्यवाद उनका जिन्होंने पोस्ट पढ़ के सहमती जताई
.
मैं तो भाई अपने जौनपुर ब्लॉगर असोसिएसन पर किसी को चावल नहीं भेजता. जौनपुर की मीठी इमरती ले के आना होता है खुद, वोह भी बेनेराम की दूकान वाली.
इन एसोसिएशन से होता क्या है?
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
एसोसिएशन मैं तो अक्सर झगडे होते हैं और बाहर के रास्ते दिखाए जाते हैं. हाँ जौनपुर ब्लॉगर मैं जौनपुर की बातें वो भी हम्मिजाज़ लोगों के साथ होता है.
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