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जाति प्रमाणपत्र, जाति प्रमाण्पत्र, जाति प्रमाणपत्र

बुधवार, 9 मार्च 2011


जाति प्रमाणपत्र, जाति प्रमाण्पत्र, जाति प्रमाणपत्र  आखिर यह क्या मुसीबत बन गया हे सरकार और अधिकारीयों के लियें और इस मुसीबत से जनता को छुटकारा नहीं मिल पा रहा हे आखिर केसे मिले इस प्रमाणपत्र से जनता को छुटकारा में सोच ही रहा था के अचानक कोटा  के शहर काजी जनाब अनवार साहब का फोन आया उन्होंने  कहा के नगर विकास न्यास के अधिकारी वक्फ सम्पत्ति अधर शिला पर कुआ खोद कर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बना रहे हें इसलियें कलेक्टर से मिलना हे . 


कोटा में कलेक्टर जी एल गुप्ता वेसे तो आर ऐ एस हें लेकिन सरकार ने उन्हें सम्भागीय मुख्यालय जेसे जिले में कलेक्टर बना कर इज्जत बख्शी हे खेर शहर काजी साहब आये में और कुछ शहर के चुनिन्दा लोग कलेक्टर जी एल गुप्ता के पास फरियाद लेकर पहुंचे कलेक्टर ने अभिवादन किया और शिकायत सुन कर तुरंत नगर विकास न्यास सचिव को फोन कर इस कम को रोक देने के लियें कहा और निर्देश दिए के जब तक वार्ता से एक दुसरा पक्ष आपस में संतुष्ट न होजाए तब तक काम रोके रखना . कोटा कलेक्टर के यहाँ तबादले के बाद उनसे तकरार की यह पहली मुलाक़ात  थी इसलियें उन्होंने सीकर कलेक्ट्रेट के दोरान अल्पसंख्यकों  के लियें विशेष योजनाओं का काम गिनाया उन्होंने जयपुर में भी उनकी कार्यशेली के तोर तरीके बताये इसी दोरान कोटा में अल्पसंख्यकों की शिकायत और समस्याओं की बात चली . 


कोटा कलेक्टर को मेने बताया के कोटा में मुसलमान और अल्पसंख्यक होने का प्रमाण पत्र जारी करने में भी अधिकारी परेशान कर रहे हें , अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम की ऋण योजनाओं में अधिकारी आवेदकों को परेशान कर रहे हें कलेक्टर ने अल्पसंख्यक प्रमाण पत्रों के मामले की शिकायत गोर से सुनी और फिर कहा के यह कहने की बात नहीं हे लेकिन में आप सभी को विश्वास दिलाता हूँ के अल्पसंख्यकों को यहाँ किसी भी तरह की परेशानी नहीं आएगी अगर आए तो में उसका निदान करूंगा खेर बहतरीन कसीदों के बाद हम वापस बहर आये कलेक्ट्रेट से नीचेव उतरे के एक जनाब जो अनजान से थे उसने मुझे रोका साथ में काजी साहब को सलाम किया और अपनी परेशानी बताने लगा . 


इन जनाब ने मुझे बताया के मेरा नाम जाहिद हे और में दीगोद तहसील जिला कोटा का रहने वाला हूँ मेरा सेलेक्शन मिलेट्री में हो गया हे और मिलेट्री में मुझ से सामान्य जाती का प्रमाणपत्र माँगा हे जो तहसीलदार साहब ने दें से इनकार कर दिया हे इसमामले में हमने कोटा कलेक्टर के नाम तहसीलदार साहब का पत्र भी लिया हे सामान्य जाति का होने का प्रमाणपत्र का सुन कर मुझे अजीब सा लगा आज तक आरक्षण के लियें जाती प्रमाणपत्रों की कहानी तो सुनी थी लेकिन इस तरह का प्रमाण पात्र  पहली बार माँगा गया था मेने सोचा के शायद आने वाले कल में यह बाबू राज लोगों से उनके नाम का प्रमाण्पत्र भी मांगने लगेगा खेर मिलेट्री में जोइनिंग की आखरी तारीख नजदीक थी इसलियें में इन सज्जन के साथ वापस कलेक्टर साहब के पास पहुंचा कलेक्टर साहब ने आवेदन देखा और कहा के वकील साहब यह तो कोई बात नहीं हुई सामान्य जाती का होने का प्रमाण पत्र बनाने का कोई प्रावधान नहीं हे तो केसे बना देंगे मेने पहले बनाया गया एक राजपूत भाई का प्रमाण्पत्र उन्हें बताया के साहब यह भी तो कोटा से ही जारी किया हुआ हे बीएस इस प्रमाणपत्र को देख कर कलेक्टर साहब ने आवेदन पत्र लिया उसकी पुष्ट पर आदेश किया और कहा के यह इस तरह का पहला और आखरी प्रमाण्पत्र हे इस को नज़ीर बताकर कोई दुसरा प्रमाण पत्र नहीं बनेगा में सोचने लगा के एक पल पहले तो यह कलेक्टर अल्पसंख्यकों के कितने बढ़े हितेषी बनने की कहानियाँ सुना रहे थे और दुसरे पल काम ले जाते ही यह जनाब बदल गये खेर यह तो होना ही था , लेकिन एक बात पर तो विचार करना ही पढ़ेगा के हर मामले में प्रमाणपत्र बनाने वाली इस सरकार ने कलेक्ट्रेट में प्रमाण्पत्र बनवाने वालों की भीढ़ जमा कर दी हे पैदा होने का प्रमाण पत्र, मरने का प्रमाण्पत्र ,जीने का प्रमाणपत्र , आय का प्रमाणपत्र ,जाति उप जाती आरक्षित जाति आदिवासी का प्रमाणपत्र , और अब खुद के जीवित होने का प्रमाण पत्र खुद के सामान्य जाति का सदस्य होने का प्रमाण पत्र यह सब व्यवस्था जनता को परेशान करने वाली ही हे और इससे अधिकारी भी अपना मूल काम छोड़ कर केवल प्रमाणपत्रों में लग जाते हें . 


मिलेट्री में सामान्य जाति के प्रमाणपत्र के जवाब में किसी ने कहा के शायद मिलेट्री में दूसरी जाति के लोगों को भर्ती नहीं करते इसीलियें सामान्य जाती का प्रमाणपत्र होना जरूरी हे इस पर मेरे साथ बेठे एक वकील साहब ने तमतमा कर खा के वाह और दुसरे मामलों में तो आरक्षण और देश के लियें मर मिटने के मामले में मिलेट्री में आरक्षण नहीं इन वकील साहब का कहना था के  भाई यह आरक्षण तो मिलेट्री में हों ही चाहिए ताकि सामान्य वर्ग के लोगों के साथ साथ आरक्षण का फायदा आमोज मस्ती लेने वाले लोग भी तो देश के लियें अपने जान देने वाले बने बात तो सामान्य थी लेकिन एक बहुत बढ़ा सवाल यही बात छोड़ गयी जिसका कोई जवाब मेरे पास नहीं था . अख्तर   खान अकेला कोटा राजस्थान

2 comments:

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर 9 मार्च 2011 को 11:16 pm बजे  

जाति का हाल ये है कि सभी ठाकुर पंडित लिखना चाहते हैं पर आरक्षण का लाभ लेने के लिए पिछड़ा वर्ग में, अनुसूचित वर्ग में शामिल होने को लड़ भी रहे हैं.

जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

रवीन्द्र प्रभात 11 मार्च 2011 को 1:21 pm बजे  

सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !

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