प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ. Blogger द्वारा संचालित.
प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जहां आपके प्रगतिशील विचारों को सामूहिक जनचेतना से सीधे जोड़ने हेतु हम पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं !



ग़ज़लगंगा.dg: रखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब को

रविवार, 22 जुलाई 2012

कांटों से भरी शाख पर खिलते गुलाब को.
हमने क़ुबूल कर लिया कैसे अज़ाब को.

दिल की नदी में टूटते बनते हुबाब को.
देखा नहीं किसी ने मेरे इज़्तराब को.

चेहरों से झांकते नहीं जज़्बात आजकल
रखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब को.

लम्हों की मौज ले गयी माजी के सब वरक़
अब तुम  कहां से लाओगे यादों के बाब को.

बेचेहरगी ने थाम लिया होगा उनका हाथ
चेहरे से फिर हटा लिया होगा नकाब को.

ऐसे भी कुछ सवाल थे जो हल न हो सके
ताउम्र ढूढ़ते रहे जिनके जवाब को.

तहजीब के फलक पे सितारों के दर्मियां
आंखें तलाशती रहीं आवारा ख्वाब को.

सबकी नज़र में खार सा चुभने लगा था वो
देखा था जिस किसी ने मेरे इन्तखाब को.

वो जिनकी दस्तरस में है सिमटा हुआ निजाम
दावत भी वही दे रहे हैं इन्कलाब को.

हम यूं नवाजते हैं उन्हें अपने मुल्क में
 जैसे कोई शिकार नवाज़े उकाब को.

गौतम हमारे बीच में दीवार क्यों रहे
अबके तुम अपने साथ न लाना हिजाब को.

----देवेंद्र गौतम

'via Blog this'

एक टिप्पणी भेजें

www.hamarivani.com

About This Blog

भारतीय ब्लॉग्स का संपूर्ण मंच

join india

Blog Mandli
चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
apna blog

  © Blogger template The Professional Template II by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP