ये सही कदम नहीं...
मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011
आज के हिंदुस्तान में मुख्य समाचार के रूप में एक समाचार प्रकाशित है कि ''मेयर व निकाय अध्यक्षों का होगा परोक्ष चुनाव ''.अर्थात निकाय जिनमे जनता का दैनिक जीवन जुड़ा रहता है को ही अब उससे दूर करने की तैयारी की जा रही है.निकाय चुनाव में अभी तक अध्यक्ष का चुनाव जनता करती है और यह एक सही परिपाटी भी है क्योंकि इस तरह चेयरमेन जनता के प्रति अधिक जवाबदेह रहता है.यदि चेयरमेन के चुनने का अधिकार सदस्यों को दे दिया गया तो इसका साफ मतलब है कि चुनाव चुनाव ना रहकर व्यापार का जरिया हो जायेंगे.
हमने खुद अपने क्षेत्र में देखा है कि एक बार जब नगरपालिका उपाध्यक्ष के चुने जाने की बात थी तो किस तरह से वे मेंबर जो उपाध्यक्ष बनना चाहते थे अन्य मेम्बरों को हिल स्टेशन की सैर करा रहे थे,होटल में रख रहे थे.इस तरह मेम्बरों की खरीदारी की जाती है और उनका लक्ष्य भी किसी तरह मेंबर बनकर नोट कमाना ही रह जाता है.अब भी कितने ही मेंबर ऐसे बनते हैं जो अपने क्षेत्र के विकास की ना सोचकर केवल नगरपालिका से ठेके लेने की सोचते हैं और इसलिए जनता के ऐसे भाग पर नोट खर्च करते हैं जो फर्जी मतदान कर सकता है.अब यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो ऐसे मेंबर जनता की वोट लेकर चेयरमेन को चुनने का अधिकार भी अपने हाथ में ले लेंगे और इस तरह से पहले भले ही वे जनता पर नोट खर्चे ,चुनाव जीतने के बाद उनके काम करने के लिए उन पर अधिक दबाव बनायेंगे और दूसरी ओर चेयरमेन तो उनके दबाव में पहले ही रहेगा.मतलब इस विधेयक का पास होना जनता की स्थानीय निकाय में भी नैय्या मझधार में होना है.
4 comments:
bilkul sahi kaha hai aapne .purntaya sahmat .
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति,बधाई।
सच्चाईयों से रूबरू करने हेतु शुक्रिया !
इस आवाज़ की ज़रूरत है ...
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