यह वही पत्थर हें ...........
रविवार, 20 मार्च 2011
यह वही
पत्थर हें
जिन्हें मेने
कल
लोगों को
ठोकरों से
बचाने के लियें
हटाये थे
आज देख लो
उन लोगों ने ही
वही पत्थर
ना जाने क्यूँ
मेरे घर पर
बरसाए हें .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यानी प्रब्लेस, जहां न क्षेत्र की बंदिशें, न जाति और धर्म की....केवल एक बिरादरी प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ की, आईए खुलकर कीजिए बात जैसे अपने घर में करते हैं !
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