आओ मिलकर् सब ऐसा दीप जलायें
शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011
आओ मिलकर् सब
ऐसा दीप जलायें
अन्तर से बाहर तक
सारे तम मिटाएं
रौशन हो धरती से अम्बर तक
प्रेम के दीपक में
सदगुणों की बाती जलायें
सुखी हो जायें सारे जन जन
श्री गणेश माँ लक्ष्मी का
माँ सरस्वती सँग हो आगमन
मिट जाये देश से
दुःख व दरिद्र्ता
फिर कोई मेरे देश में
भूंख से न मर पाये
भूंख से न मर पाये
मत भेद हो
कितना भी, लोगों में
मन भेद न बढ्ने पाये
हर्षित रहे सदा माँ भारती
विश्व में भारत मेरा जगमगाये।
4 comments:
खूबसूरत ख्वाहिश
sangita jii namaskaar prtikriya ke liye dhanyvaad.
बहुत बढ़िया!
मंगलकामनाएँ!
म्यंक जी नमस्कार, ब्लाग पर भी आपके सुझावों की आवश्यक्ता रहती है।
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